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बरखा बैरन नहीं है साहब!
साहब ये अखबार में बारिश को आफत क्यों लिखा है? हम तो कब से बरखा की बाट जोह रहे थे! बात तो सोचने की है! शहर के बाबू लोग ख़ुद के फैलाए कचरे को नजरंदाज करके बरखा रानी को अपने कष्टों का कारण कहते हैं बहुत ही बुरा लगता है! तकलीफों के असली जिम्मेदार और…